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Priyadarshini Kumari

Abstract Inspirational

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Priyadarshini Kumari

Abstract Inspirational

जितने की उम्मीद

जितने की उम्मीद

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बूंद बूंद लहू की धारा

दे रहीं जीवन की नारा

जगमग जगमग दिप जले

फिर भी दिप तले अंधियारे बसे

कठोर परिस्थिति मन को घायल करता

संकट घड़ी में जीवन दुखमय होता

कड़ी संकट आने पर भी खुद में विश्वास रखना

जीवन जीतने का एक नया एहसास रखना

क्या.. खोना है, क्या.. पाना है खुद को जीवन में

उम्मीद उसी का रख जो दिल की ख़्वाईश चाहे

एक रूप एक समान नहीं मिलता भाव किसी को यहाँ 

जीवन की रहस्य लीला नहीं जानता कोई यहाँ..

एक बैरी दूसरें बैरी को दुश्मन बोले...

प्रीत से प्रीत को जीवन में प्यार बोले..

फिर क्यूं दुनियां में प्रीत का रूप ही बैरी हो जाए

मिलन की आस में विश्वास को तोड़ा जाए 

लौट कर खुदी के पास आती हैं..

हर घड़ी का हिसाब ज़िन्दगी रखती हैं

कौन किसने क्या.. दिया वो याद रखती हैं

दोस्ती की वसूलों का जीवन बख़ूबी याद रखती है

फ़र्ख बस इतना है कि प्यार जता नहीं पातें हैं..

हम जिसे चाहते है उसे खोने से डरते है 

अब जीतने की उम्मीद से जीत की बारी हमारी है

जीवन की जो रीत तोड़ चुके है उन्हें जोड़ने की बारी है

विश्वास रखो जीत की चाह में राह को अपना बनानी है 

जीवन के नये राह में खुशियाँ मिलना.. यहीं जितने की उम्मीद है। 


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