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Priyadarshini Arya

Abstract Inspirational

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Priyadarshini Arya

Abstract Inspirational

लेबिसियन का दर्द

लेबिसियन का दर्द

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रिक्त सा स्थान हूं

साथ मिले तो एक बात हूं

मैं हूं वही लेबिसियन

जिसकी ना होता है कोई पहचान


मिला है बस ये जीवन-अधूरा

जिसकी ना है कोई पूर्ण-आधार

एक ही रास्ते चलने को मजबूर हूं

क्या पता कब कहां रोने को बेचैन हूं


हंसता हूं बजाकर ताली सबकी बधाई में

होता रहा है मेरे इसी रूप की पहचान में

खाऊँ ठोकरे हजार फिर भी मुस्कुराने को बेताब हूं

दिल में दर्द लिए खुशियों में झूमने को तैयार हूं

कोई कुछ नहीं कर सकता है

यह तो वक्त वक्त की पहचान है

मैं भूल हूं, चूक हूं और दर्द भी हूं 

फिर भी उठ रहे हजारों सवाल में

मुस्कुराने को परेशान हूं।


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