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Jalpa lalani 'Zoya'

Abstract Tragedy Others

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Jalpa lalani 'Zoya'

Abstract Tragedy Others

दिल की बात कहने दो

दिल की बात कहने दो

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आज याद आ गई फिर से उनकी

आज आँखें भर आईं फिर एक बार


आज फिर एक बार मैं जज़्बातों में बह गई

आज कह लेने दो मुझे अपने अफ़साने


खोया है मैंने अपने कोई क़रीबी को

जो मेरे दिल के बहुत ही क़रीब था


साथ-साथ खेले थे, साथ ही हुए बड़े

ज़िंदगी की हर बात उनसे कहा करती थी


मेरी सब उलझनों को चुटकियों में सुलझाती थी

मेरी बड़ी बहन मेरी माँ के समान थी


एक एक करके आज बीत गए बारह साल

आज भी याद आते है उनके साथ बिताए हर एक पल


दिल में छुपा है बहुत दर्द,

आज दिल की बात कहने दो


याद आ जाते है वो किस्से,

आज आँखों से अश्क़ बह लेने दो


थरथरा रहे है लब मेरे फिर भी,

आज अल्फ़ाज़ों को बयां होने दो


हँसी के दिखावटी नक़ाब को

आज उतार लेने दो,

आज थोड़ा रो लेने दो।



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