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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Tragedy

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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Tragedy

मंजिल-ए-आसान

मंजिल-ए-आसान

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रुखसत-ए-प्यार में,

गम-ए-जिंदगी जीना,

अच्छा है जिंदगी में,

उल्फतों से लड़ना,


प्यार मे हार कर जीना,

हसरतों से बेहतर जीना।

बहार-ए-फूल खिलते,

चमन जब नहीं जलते।


जलकर ही चमकते,

परिवरिश-ए-तरशते।

सुबह शाम दीदार,

सींचा गया प्यार,


अंधेरों में रोशनी,

खुशनशीब जिंदगी,

जीने की राह,

मंजिल-ए-आसान।


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