नारी का अस्तित्व
नारी का अस्तित्व
नव सृजन संसार का हो,
हक ये नारी को मिला।
अस्तित्व में अंकुर जो आया,
हर्षित हो तन मन खिला।।
कौन हो तुम कैसे लगते हो
अनदेखे अनजाने से ।
हर पल मिलने की चाहत में
मन ख़ुशियों से भर गया।।
आ गया अस्तित्व का,
प्रतिरूप मेरे अंक में।
प्यारी नन्ही परी से मेरा,
आज घर आंगन खिला।।
है यही आरजू ,
नन्हे कदम .....बढ़ते चले।
ना हो कोई मुश्किलें,
आए न कोई अड़चनें ।।
बढ़ो प्रगति की ओर सदा,
जहां में तुम्हें पहचान मिले।
तुम को अपनी ख्वाहिशों का,
पूरा आसमान मिले।।