करार आ जाए
करार आ जाए
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बन गए घाव दिल पर तुम्हारे शब्दों के
प्यार की मरहम लगे तो शायद करार आ जाए
क्यों पहले जैसा प्यार अब रहा नहीं
चलो दोस्त बन जाए तो शायद प्यार हो जाए
तुम अपने हिस्से की आज़ादी जी लेते हो
आज मेरे हिस्से की आज़ादी दे दो
तो शायद करार आ जाए
जरूरी नहीं लगाव अपनों से ही हो
अनजान भी आ जाते हैं दिल के करीब
सुकून पाता है जीवन के सफर में दिल
जब बगैर शर्त और समझौतों के हो रिश्ता
तो शायद दिल को करार आ जाए।