गुजारिश
गुजारिश
बस इतनी सी गुजारिश
है इस दिल की
लौट आए फिर से वह
हंसी ठहाकों की दुनिया
ठहर गई जिंदगी इंसान की
लौट आए फिर त्योहारों में
रौनक की दुनिया
अरमानों की नगरी में
फिर से खुशियों का डेरा हो
सिमट गया बच्चों का बचपन
टीवी मोबाइल के घेरे में
सामाजिक समरसता दूर हो गई
किसी दौलत से नहीं खरीद सकते
हम वह खुशियां।