प्यारी दादी माँ
प्यारी दादी माँ
वो आपका मुझे बुलाना
या सबकी फ़िक्र जताना
पापा की डांट लगाना
बहुत याद आता है दादी माँ
मेरे सोने पर मुुझको
आँचल से हवा खिलाती थी
घर देर सेे आउं गर मैं
तो डांट बहुत लगाती थी
अब वो डांट कौन खिलाएगा
अब वो फिकर कौन जतायेगा
कहाँ गए थे लल्ला ये कह-कर
कौन बुलाएगा?
दादी माँ नेे इस कुल को
अपने लहू से सींचा था
वो सारे रिश्ते तोड़ गई
हम सबको अकेला छोड़ गई
जाने के बाद उनके
उन्होंने हमे ऐसा रुलाया
आँख से आँँसू एक न आया
मगर दिल था जो अंदर ही अंदर
रो ही आया.......
लेटी थी वो जब शव रथ पर
तो आने से पहले आँसू
उनको दिए वाादे याद आ गए
गर मर जाऊं मै बेेटा
तो आँसू न तुम एक बहाना
हंसते हँसते चिता जलाना
कांधा दो तो मुस्कुराना
आज वो वादा तोड़ रहा हूं
आँसू से रिश्ता जोड़ रहा हूं
हैै गवाही इस कलम की
जो जानती है गम मेरा
रोया अगर मैं नही
तों रोया है ये कलम मेरा!