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Kaavy Chaudhary

Abstract

2.8  

Kaavy Chaudhary

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ये पेड़ कुछ कहते हैं

ये पेड़ कुछ कहते हैं

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यह पेड़ कुछ कहते नहीं

पर बहुत कुछ कह जाते हैं

और हम मनुष्य को जीने की

सही राह दिखलाते हैं


आए चाहे आंधी तूफान

यह अडिग रह जाते है

न की हम मनुष्यों की भांति

दुख विप्पति से घबराते है


एहसानमंद यह इतने हैं

वृद्धावस्था तक

कर्ज चुकाते है

सींचो इनको छोटे पर

वयस्क होने तक


फर्ज निभाते हैं

सिख लाते हैं यह सब कुछ

फिर भी हम सीख नहीं पाते है

इन से अच्छा जीवन जीना

हमें कौन बातलाएगा


यह हमसे कुछ नहीं लेते हैं

उल्टा बचपन से लेकर

अर्थी तक साथ देते हैं

ऑक्सीजन हम लेते हैं


और इनको जहर देते हैं

वर्तमान समय में मनुष्य ने

अगर इनका महत्व ना पहचाना

तो भविष्य में पड़ेगा हमारी

आने वाली पीढ़ी को पछताना।


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