STORYMIRROR

Rashmi Singhal

Tragedy Others

4  

Rashmi Singhal

Tragedy Others

अफसोस

अफसोस

1 min
217


कूड़ेदान से सटी व टूटी

हुई एक टोकरी

अंतिम साँसे गिनती हुई

निहार रही थी बाट

कूड़े वाले का, के न जाने

वह, कब उसे ले जाकर

पटक दे कूड़ेघर में?...


तभी सहसा!

उस टोकरी 

की गोद भारी सी हो गई

वह टोकरी,

साँस भरने लगी, उसकी

धड़कनें चलने लगी

उसे लगा के मानो उसे 

नव-जीवन

मिल गया हो, थोड़ी ही 

देर में उसे रोने की

आवाज आई, तब...

उसे एहसास हुआ 

कि उस*

निर्जीव की गोद में डाल

गया था कोई जीवित 

गोद अपनी,

उसमें, लेटी थी नन्ही बेटी,

उस टोकरी ने ज़िन्दगी

भर भार ढोया पर...

आज, उसे पहली बार

हुआ है अफसोस ! अपने

टोकरी होने पर.........।


*उस - टोकरी


    


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy