मैं रहूँगी सदा ही "तुम्हारे लिए"
मैं रहूँगी सदा ही "तुम्हारे लिए"
किस्मत की कलम के
लिखे हुए से,जो कभी,
मैं लड न पाऊँ,
ज़िन्दगी की किताब के
किसी पन्ने पर तुमसे मैं,
बिछड़ कभी जो जाऊँ,
तब,...
लगेंगे जब भी तुम्हारे
दिल में मेरी यादों
के मेले,
उन मेलों में खुद को
पाओगे जब भी,
तुम कभी अकेले,
जब प्यास आँसुओ को
लगती ही जाएगी,
जब भूख दर्द की मिट
न पाएगी,
जब मौसम की करवटें
लगेंगी तुम्हें सताने,
इस दुनिया की भीड़ में
हो जाओगे जब भी
तुम बेगाने,
दिन-रात में कोई जब
फर्क न रहेगा,
जब खुशी-गम में दिल
कोई तर्क न कहेगा,
आएगी जीवन में
जब भी ऐसी
कोई राह,
न मर सकोगे तुम
न ही होगी जीने की
तुम्हें जब चाह,
तुम आकर खड़े हो
जाओगे
जब कभी ऐसे वक्त के
किनारे,
साथ न होगा जब कोई
भी तुम्हारे,
महसूस करना
तुम मुझे
कविताओं में मेरी
मैं रहूँगी उनमें सदा ही
"तुम्हारे लिए" ।