जाने-अनजाने
जाने-अनजाने
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जाने-अनजाने में बहुत से गुनाह करके बैठे हैं
कुछ कि थी वजह कुछ बेवजह करके बैठे हैं,
डरते है देखने से आईने में सूरत अपनी
तभी तो हम नीचे निगाह करके बैठे हैं,
नहीं है कसूर इसमें कुछ भी किसी और का
अपनी हालत कि खुद ही वजह करके बैठे हैं,
हम खुद ही अपने सवाल हैं खुद ही जवाब हैं
खुद को ही वकील खुद को गवाह करके बैठे हैं,
निभाई खूब ही हमने दुश्मनी एक दूसरे से, के
वक्त हमें औ' हम वक्त को तबाह करके बैठे हैं।