फिर और एक नया वर्ष
फिर और एक नया वर्ष
ले लो फिर संकल्प नया,
फिर से कोई विकल्प नया,
बीता वर्ष लेकर के आया
फिर एक ओर वर्ष नया,
लेकर मन में नई तरंग,
लेकर के आशाएँ संग,
जीवन में भरकर चलो
फिर से एक नई उमंग,
क्या पाया क्या रीत गया,
सीखो उससे जो बीत गया,
गा लो अब तुम सुर नए,जो
बिसर पुराना गीत गया,
माना के राह नहीं आसान,
बढ़ो डगर को तुम पहचान,
रखकर पाँव जमीन पर अपने
हाँथों से छू लो तुम आसमान,
पाकर नव वर्ष की शरण,
कर लो खुशियों का वरण,
जो बीत गई सो बात गई
बढ़ाओ अब मंगल चरण,
कभी अपकर्ष कभी उत्कर्ष,
कभी शांति कभी संघर्ष,
मान कर चलो बीते वर्ष को
नए साल का तुम आदर्श,
सुन करके दिल की आवाज,
बदलो जीने का कुछ अंदाज,
खड़ा है अपनी बाँह पसारे
करो नव वर्ष का तुम आगाज़।