वर दे वीणावादिनी वर दे ! ----- सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" वर दे वीणावादिनी वर दे ! ----- सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
बिसरा सारे अंधियारे को नव प्रकाश से नाता जोड़ें। बिसरा सारे अंधियारे को नव प्रकाश से नाता जोड़ें।
एक नए रूप के साथ बहरूपिया कलमकार। एक नए रूप के साथ बहरूपिया कलमकार।
समय चक्र चलता रहा, घड़ियाँ भी गतिमान हौले हौले आ गया, नया साल मेहमान। समय चक्र चलता रहा, घड़ियाँ भी गतिमान हौले हौले आ गया, नया साल मेहमान।
नवा साल मंगल होय, दुइ हजार बीस। नवा साल मंगल होय, दुइ हजार बीस।
बिटिया पराया धन है, फिर क्यों रोता बाप। ये चुभते जज्बात हैं, नहीं समझते आप।। बिटिया पराया धन है, फिर क्यों रोता बाप। ये चुभते जज्बात हैं, नहीं समझते आप।।