समय चक्र चलता रहा( दोहा -गीत )
समय चक्र चलता रहा( दोहा -गीत )
समय चक्र चलता रहा, घड़ियाँ भी गतिमान
हौले हौले आ गया, नया साल मेहमान।
पंछी दुबके नीड़ में, काँप रहे हैं गात
स्वागत नूतन वर्ष का, होगा आधी रात।
नए वर्ष का आगमन, लाया शीत अपार
कुहरे में लिपटा हुआ, हर इक स्वागत द्वार।
सुखकारी नव-वर्ष हो, करें इस तरह काज
सत्य जयी होकर रहे, गिरे झूठ पर गाज।
चमन बनाएँ देश को, ज्यों हो सबको नाज़
नए साल के साथ में, लाएँ जनता राज।
चर्चा घर-घर में चली, आया साल नवीन
आगत का स्वागत करें, भूलें अब प्राचीन।
रतजागे में रत सभी, मचा हुआ है शोर
आ पहुँची नव-वर्ष की, रस भीगी सी भोर।
चारों ओर बधाइयाँ, मधुर-मधुर संगीत
दसों दिशाएँ गा रहीं, अभिनंदन के गीत।
मित्रों नूतन साल में, ऐसी हो तदवीर
बदल जाय हर हाल में, भारत की तकदीर।
सजेधजे बाज़ार हैं, पब, क्लब, होटल, मालबारहमासी पाहुना, आया नूतन साल।
नया साल फिर आ गया, जागा है विश्वास
कर्म डोर थामे रहें, पूरी होगी आस।
नई सुबह सूरज नया, नए बरस के साथ
सुखदुख मिल साझाकरें, मीत बढ़ाकर हाथ।
हर कोने को जोड़कर, आया नूतन सालबनी रहे यह श्रृंखला, सकल विश्व की माल।
लिखते लिखते ‘कल्पना’, थका लेखनी-हाथ
फिर भी वो खुश आज है, नए वर्ष के साथ।