खुश्बू बना मौसम
खुश्बू बना मौसम
गुल खिले, गुलशन जगे
खुशबू बना मौसम
सृष्टि का कण-कण हुआ
रंगों भरा मौसम
क्यारियाँ, फुलवारियाँ
सजने लगीं खुश हो
बालपन में रंग नव
भरने लगा मौसम
गोद ले कलियाँ, तितलियाँ
ओस-कण, भँवरे
दे रहा हर-मन सुकूँ
यह खुशनुमा मौसम
अंकुरित होने लगे
उल्लास के पौधे
आस के फूलों-फलों से
लद गया मौसम
सूर्य-रथ से सात-रंगी
नव्य किरणों को
देख उतरता भूमि पर
खुलकर खिला मौसम
लाल, नारंगी, गुलाबी
पीत या नीला
रंग सब मिल कर बनाते
प्यार का मौसम
फागुनी दिन फिर मिले
जी भर कहो ग़ज़लें
भावों का भंडार ले
सम्मुख खड़ा मौसम
धूल धूमिल ज़िन्दगी को
घोल रंगों में
‘कल्पना’ प्रेमिल बना लो
कह रहा मौसम।