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कल्पना रामानी

Abstract

5.0  

कल्पना रामानी

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नये साल की भोर

नये साल की भोर

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सितारों ने भेजी भुवन को बधाई।

नये साल की भोर, लो मुस्कुराई।


गगन ने किया घोर, कोहरे से स्वागत

चमन ने सुगंधों से देहरी सजाई।


जले नव उमंगों के दिलदार दीपक

भुला बीती बेदिल हवा की ढिठाई।


यही दिन तो देता सकल साल संबल

बनी रहती हर मुख पे लालिम लुनाई।


चलो कर लें पूरे, सपन इस बरस में

न हो लक्ष्य पाने में कोई ढिलाई।


बिठाएँ नवागत को मन के फ़लक पर

कि देकर विगत को विहंगम विदाई।


नए जोश से हक़ की, फिर वो मुखर हो

जो आवाज़ कल तक गई थी दबाई


चेताएँ उन्हें पथ बदल दें पतन का

नराधम निरे, क्रूर, कातिल कसाई।


फलें ‘कल्पना’ साल भर प्रार्थनाएँ

मिले रब की सबको, सतत रहनुमाई।


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