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monika kakodia

Abstract

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नव प्रभात

नव प्रभात

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बीती रात कमल दल फूले

हरित बेल पर ओस के झूले


भोर भयी उस ओर शितिज पर

नव जगत ने फिर नैना खोले


कोयल पपीहा ने कुह लगाकर

कन्ठ से जग में मिष्ठी घोले


नव प्रभात है नई उम्मीदें

हम भी अब नव पथ होलें


बिसरा सारे अंधियारे को

नव प्रकाश से नाता जोड़ें।


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