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Nimisha Singhal

Abstract

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Nimisha Singhal

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कलमकार

कलमकार

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जीता है हर किरदार

एक कलमकार!

जिंदगी की हर कसौटी पर

खुद को

खुद ही कसता है।


उसकी कलम उत्तम लिखे

इसीलिए लगातार

घिसता है।


उसकी लिखी

हर कहानी

हर गीत

श्रोताओं को

उसका ही कोई

किस्सा लगता है।


सौ बार खुद को डुबाता है वो

तब कही जाकर

खुद की रचनाओं का

हिस्सा लगता है।


हर किसी को

एक कलमकार

दिल का मरीज़

एक टूटा हुआ

आशिक लगता है।


किसी गहरे

प्रेम से तालुकात

रखने वाला

बेमुरव्वत

पागल दीवाना

लगता है।


और यही तो कलाकारी है

सही समझा आपने

ये एक कलमकार की

कलमकारी है।


हर कोई झांक

लेना चाहता है

उन सुराखों में

जो कलम की तेज़ धार से

उन मुलायम कागज़ों

में हो चुके थे।


पढ़ लेना चाहता है

उन कागज़ो में

ढलक रही कुछ बूंदों को

अश्रु समझ कर


जो उमस से ढलक

चुके थे

चेहरे से

उनअक्षरों पर

मोती बनकर।


देख लेना चाहता है उस

अक्स को

जो दिखता है

नज़्म के आईने में

उस शख्स को।


समझ लेना चाहता है

हर आड़ी तिरछी

रेखाओं को

लिखते लिखते सो जाने से

जिनका सृजन हुआ।


महसूस कर लेना चाहता है

उस दर्द को

जो किसी कलमकार की

रचनाओं में झलकता है।


तमाम तल्लखिया,

तीखे संवाद

शरारती जुमले,

प्रेम और उनसे उपजती

नई नई रचनाएं


हर किसी

साहित्य प्रेमी को

नव रस का सोपान

करवा कर ही दम लेती है।


कलमकार फिर डूब जाता है

अपने दिल के समुंदर में

नई रचनाओं के सृजन के लिए।


फिर हाज़िर होता है एक नई रचना

एक नए रूप के साथ

बहरूपिया कलमकार।


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