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Rashmi Singhal

Others

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Rashmi Singhal

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वो किसी ओर के होकर बैठे हैं

वो किसी ओर के होकर बैठे हैं

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आँखों बता रही हैं के वो रो करके बैठे हैं

औ' कह रहे हैं वो के मुँह धो करके बैठे हैं,


है शिकायत उन्हें के कोई नहीं है उनका

लगता है वो किसी को खो करके बैठे हैं,


वो बैठे हैं सर को दीवार से टीकाए हुए

होश अपना वो सारा खो करके बैठे है,


ढूढँती हैं उनकी नजरें फिर से वही सारे

ख्वाब अश्कों में जो,वो धो करके बैठे हैं,


वो कहते हैं हो न पाएँगें अब हम किसी के

किसी ओर के वो शायद हो करके बैठे हैं,


बैठें हैं दिल में एक ओर लगा कर वो उम्मीदें 

दूसरी ओर नाउम्मीदी को बो करके बैठे हैं।


       


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