तुम फिर कहीं मत जाना। बसन्त तुम इस तरह से आना। तुम फिर कहीं मत जाना। बसन्त तुम इस तरह से आना।
जन -जन की अभिलाषा है यह हमारी राष्ट्रभाषा है। जन -जन की अभिलाषा है यह हमारी राष्ट्रभाषा है।
हर सुबह नए सपने हैं सजते, कोशिश से हो पूरे ख़्वाब हमारे। हर सुबह नए सपने हैं सजते, कोशिश से हो पूरे ख़्वाब हमारे।
नई आस लिए, नया प्रात लिए नव वर्ष का कर सोपान प्रिय नई प्रीत लिए,संगीत लिए कर नव ज नई आस लिए, नया प्रात लिए नव वर्ष का कर सोपान प्रिय नई प्रीत लिए,संगीत लि...
नव वर्ष और नव दशक का नव ऊर्जा से स्वागत करने के लिए... हमने अपने आप को पुरी तरह से बदल डाला है... कै... नव वर्ष और नव दशक का नव ऊर्जा से स्वागत करने के लिए... हमने अपने आप को पुरी तरह ...
वर दे वीणावादिनी वर दे ! ----- सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" वर दे वीणावादिनी वर दे ! ----- सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"