अध्यात्म
अध्यात्म
पता नहीं क्यों हर मानव ,भविष्य की चिंता करता है ।
वर्तमान का तो पता नहीं, कल पर सब कुछ छोड़ता है।।
आधुनिकता के चक्कर में ,भौतिक सुविधाऐं जुटाता है।
मानव की इस प्रवृत्ति के कारण ,हिंसा का पथ अपनाता है।।
त्याग, अपरिग्रह के गुणों को ,अपने से दूर भगाता है ।
यही कारण है कि मानव, संसार में फँसता जाता है।।
अपने असली स्वरूप को भूल ,जड़ता से मोह लगाता है।
वासना लिप्त वह मानव, भव जाल में पड़ता जाता है ।।
जड़ता रूपी मोह छोड़, यदि वह यह सूत्र अपनाता है ।
यही उसका परम पुरुषार्थ है ,"अध्यात्म" यही कहलाता है।।