निराश ना हो मन मेरे
निराश ना हो मन मेरे
निराश ना हो मन मेरे,
चल अब जो हुआ सो हुआ
उसे भूल जा,
गलतियों से ही इंसान सिखता है,
आगे बढ़ने का हौसला पाता है,
असफलता रुलाती जरूर है,
कभी कभी तोड़ भी देती है
इंसान के छुपे हुए अरमानों को,
एक झटके में,
पर क्या इस हार को
ताउम्र गले में लटकाए घूमते रहें,
या सोचे कि अब क्या करना है ?
वो जो पुरानी गलतियां,
मुझसे हुई हैं, अब,
मेरे आने वाले रास्ते में
अवरोध पैदा ना करें,
और मैं,
अपनी मंजिल को पाने के लिए
बढ़ चलूं,
बिना खौफ के
एक बार फिर।
