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Rooh Lost_Soul

Drama Romance

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Rooh Lost_Soul

Drama Romance

इज़हार

इज़हार

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जला के लकड़ियां गीली, मैं क्यूँ धुआँ करता हूँ,

जला के लकड़ियां गीली, मैं क्यूँ धुआँ करता

वो दिल की बात थी, उसको मैं कहाँ कहाँ करता हूँ ।


वो सिसकती है चंद साँसे उसकी, अब भी सीने में,

वो सिसकती है चंद साँसे उसकी, अब भी सीने में,

मैं काफ़िर ऐसा हूँ, उसकी हर धड़कन को गिनता हूँ ।


हाँ खुशफ़हमी के दरीचे तले, अब मैं रोज खोता हूँ,

हाँ खुशफ़हमी के दरीचे तले, अब मैं रोज खोता हूँ,

उसकी महकती यादों से ये दिल गुलज़ार करता हूँ ।


वो तब इक़रार करती थी, झुकी पलकों से भी, इज़हार करती थी ।

वो तब इक़रार करती थी, झुकी पलकों से भी, इज़हार करती थी ।

उसको खोकर है जाना ये, कि मैं उससे बेइंतहा प्यार करता हूँ ।


जला के लकड़ियां गीली, क्यूँ अब ये आँखें नम करता हूँ ,

वो दिल की बात थी उसको मैं अब इक बार कहता हूँ

मोहब्बत थी और हो मेरी, हाँ अब ये इज़हार करता हूँ ।।



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