लम्हे
लम्हे
ये ख़ामोशी के लम्हे,
ख़ामोशी से ही गुज़र जाने दो
न कोई एहसास तेरा अब,
इसके क़रीब आने दो ।
ये ख़ामोशी के लम्हे
साथ मेरे ही, फ़ना हो जाने दो ।
न कोई रंज, न ग़म और
न कोई गिला अब इसमें समाने दो ।।
ये ख़ामोशी के लम्हें अब
मेरे ख़यालों से होकर
तुम्हारे ख़्वाब से गुज़र जाने दो ।
मुझे कुछ पल को ही सही
तुम्हारी बिसरी सी याद बन जाने दो ।।