ग्यारह दिन
ग्यारह दिन
प्रिय डायरी,
ग्यारह दिन ग्यारह दिन
आज दिन भर यह सोचती रह गई
क्या हमारे लिए कोई भावनाए नहीं
जो हमारी परिक्षा लेने वाले हैं
चाहे जो भी हो जाए
आखिर ऐसा क्यूँ कब
हमारे बारे में सोचा जाएगा
यहा पर मुख्यमंञी जी ने
जिस तरह से बात की
कुछ समझ में नहीं आ रहा है
क्या लॉकडाउन बढ़ जाएगा
सवाल बहुत हैं पर जवाब नहीं है।
