खामोशियाँ
खामोशियाँ
यह कौन सी हवा का पहरा है
कि शहरों में सन्नाटा पसरा है
खामोशियां चीख रही है जोरों से
जिंदगियाँ झांक रही है झरोखों से
जिधर देखो उधर कोहराम मचा है
हर तरफ रोटी का सवाल खड़ा है
अब मेरी कोई भी सुनता नहीं है
दिलों में तूफान अब थमता नहीं है
भूखे प्यासे लोग यहां परेशान हैं
अब जान है तो समझो जहान है
अपनों के खातिर अपनो को दगा
मज़बूरी में लोगों ने मुझ्र बहुत ठगा
हौसले को अपने बनाए रख नीरज
नया संदेशा लाएगा कल का सूरज।