" पुकार"
" पुकार"
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है कौन जो सुने पुकार
मन शोर करे है बेशुमार
कौन सुने अब फ़रियाद
जब दुश्मन हो गए खुद यार।
लालच ने सब को घेरा है
हर तरफ अंधेरा ही अंधेरा है
इंसानियत चीख रही है
बेईमानों के सिर सहरा है।
मां बहन बेटी अब
घर में हो गई कैद
यह आजादी पर हमला है
ध्यान रहे नारी अब सबला है ।
घर की बातें अब
हो गईं सरेआम
भाई भाई का दुश्मन हो गया
दुश्मन हो गया अब दोस्त।
मन की व्यथा कहां कहें
दिल खूब रुदन करता है
देख दुनियादारी का रंग
मेरा रंग उड़ता है।
