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NEERAJ SINGH

Classics Inspirational

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NEERAJ SINGH

Classics Inspirational

रूह भी अब नया पता चाहती है

रूह भी अब नया पता चाहती है

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ये ख़ामोश दर -ओ -दीवार कुछ कहती है

जुल्म-ओ-सितम की दास्तां बयां करती है।


दफ़्न है कई राज इस चारदीवारी में

बेजान दीवारें भी अपनापन जताती है ।


बेवफाई का नजारा भी तो देखा होगा

सुन कर देखो इनकी सीखे निकलती है।


सिर रखने को कोई कन्धा ना मिला

यहाँ जो दिखा वो हाथ खुराफाती है।


 अब तो आईना भी झूठ बोलता है

बेजान सी सूरत भी सुंदर नजर आती है।


अपना दर्द किसको दिखाएँ नीरज

अब तो हर सांस दर्द से कराहती है।


 खंडहर सा हो गया है यह जिस्म

अब तो रूह भी नया पता चाहती है।


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