बेबस उम्र
बेबस उम्र


बेबसी का आलम था
बेबस सी जान पड़ती थी
वो जो गैरों की चौखट पर
कंजफ़ीर सी दिखती थी
आँखों के नीचे बादलों सा घेरा
चर्राई कपड़ों का तन पे बसेरा
नली जो सूखी पड़ी थी गले की
उसमें ना पड़ा था ठीक से निवाला
ख़ुदा की रहमत ना थी
या अपनों ने की थी रुस्वाई
वो इक कंजफ़ीर थी जो .......
गैरों की चौखट पे नज़र आई थी
चुप चाप देख रहा था
उसकी हरकतों को भाप रहा था
बचपन में बच्चे की ना समझी को
उस कंजफ़ीर में पा रहा था
माँ होती तो...
उसकी हरकतों को समझ जाती
वो तो कंजफ़ीर थी जो आज
गैरों की चौखट पे नज़र आई थी
(कंजफ़ीर: बूढ़ी औरत)