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Khushbu Gupta

Inspirational

5.0  

Khushbu Gupta

Inspirational

नारी के चंद पल

नारी के चंद पल

1 min
370


तराशा मैंने सब के मन को

सब के दिल को खुश रखती हूँ

गरम गरम चपाती संग,

चेहरे पे मुस्कान लाती हूँ


एक एक को प्यार से

सजा के थाली लगाती हूँ

चार किस्म की तरकारी को

दिल से रोज़ मैं बनाती हूँ


नमक, मिर्च, तेल का

बारीकियों से तोलन करती हूँ

कम ना हो अधिक ना हो

इस बात का मंथन करती रहती हूँ


खुश होते है अपने तो

उनके संग खुश हो जाती हूँ

अपने पैरों की तकलीफ़

उस वक्त मैं भूल जाती हूँ


नित्य वही कामों को

बार बार दोहराती हूँ

फिर भी बोर नही होती

ना जाने क्यों इठलाती हूँ


सुबह से लेकर शाम तक

मैं सब के दिल को बहलाती हूँ

आई जब अपने दिल की बारी

तो अपने मन को में झुठलाती हूँ


दो रास्ते हो सामने तो

एक पे ही चल पाती हूँ

पेट को अपने तृप्त करूँ या

देह को अपने आराम दूँ


इसी सोच की उलझनों में

मिले जो चंद पल मेरे हिस्से में

उन्हें में ना जाने क्यों गँवा देती हूँ

और फिर से ...

गरम गरम चपाती संग,

चेहरे पे मुस्कान लाती हूँ।।



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