पिता
पिता
चोट पर मरहम की प्याली है पिता,
बच्चे के गाल की लाली है पिता।
काँटों की इस दर्द भरी राह में,
जीवन की बगिया का मली है पिता।।
सूरज की पहली किरण है पिता,
सारा जहाँ-ए-चमन है पिता।
चाहे सारी दुनिया साथ छोड दे,साथ चलने वाला गगन है पिता।।
सर्दी में चाय की प्याली है पिता,
भूख में भोजन की थाली है पिता।
कभी गुलजार का गीत, तो कभी लता का सुर,
कभी-कभी तो नुश्रत की कवाली है पिता।।
प्यार और गुस्से का घोल है पिता,
संघर्ष की वाणी का बोल है पिता।
बाजार के खिलौने हों महँगे लेकिन,
सारे खिलौनों का मोल है पिता।।
कभी सुपरमैन तो कभी शक्तिमान है पिता,
जीवन का अभिमान,स्वाभिमान है पिता।
ना मानो तो साधारण,
मानो तो भगवान है पिता।।
