चल थोड़ा और दम लगाते है
चल थोड़ा और दम लगाते है
चल थोड़ा और दम लगाते हैं..
चल बुलन्दियों को झुकाते हैं..
छोड़ गैरों के कन्धो का सहारा..
चल थोड़ा खुद को आजमाते हैं..
अन्धेरों के उस पार चलें..
चल ख़्वाबों को रोशनी दिखाते हैं..
अपने हिस्से भी होगा उजाला..
चल नया सूरज उगाते हैं..
आजमाकर भुजाओं की ताकत
चल मुसीबतों को हराते हैं..
कायरता के पन्नो को फाड़..
चल नया इतिहास बनाते हैं।
