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Khushbu Gupta

Inspirational

3.3  

Khushbu Gupta

Inspirational

नारी की बदलती बयार

नारी की बदलती बयार

1 min
569



आज जब...

घर से बाहर निकली

कानों को...

इक आवाज़ मिली

बेटी रुको...


मैं सकपका गई!

मेरी नज़रे इधर-उधर घूमी

तभी अचानक नज़रे झुकी

धरती माँ मुझसे कह रही

ना जा बेटी तू घर से बाहर...


मेरे बेटों की गन्दी निगाह

कर रही तेरा इंतजार

समझते हैं...

नारी को हवस की पुकार

पुरुषों का अस्तित्व

नारीत्व की पहचान

भूल गए वो...


नारी है,देश का सम्मान

मैं डर गई! कुछ सहम गई!

आगे बढ़ती कदम थम गयी

फिर अचानक अंतः मन से आवाज़ मिली

नारी तू अपनी शक्ति को पहचान.....

आज एक थम गई

तो समझो हजारों थम गई।


इंद्रिरा गाँधी, मदर टैरेसा, कल्पना चावला

ये थम गई होती!

ये सहम गई होती !

तो देश की ये ...

पहचान ना होती।।


धरती माँ रोको ना मुझे आज

बढ़ने दो कदम

काँटों भरी निगाहों पे

दिखा देंगे....

आप के उन सुपुत्रों को

नारितत्व की पहचान

नारितत्व की पहचान

नारितत्व की पहचान.....!


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