अराजकता का माहौल
अराजकता का माहौल


संसद , विधान मंडल अखाड़े बनने लगे हैं
गुंडे मवाली अराजक माननीय बनने लगे हैं
सफेद कुर्तों के नीचे काला इतिहास रहा है
काली करतूतों का लंबा पूरा अध्याय रहा है
"झूठ" तो इनके लबों से चिपक कर रह गई
"धूर्तता" अपनी सीमाएं बहुत पहले लांघ गई
"मक्कारी" अब चेहरों के बीच दमकने लगी है
"हिंसा" शब्दों और आचरण में दिखने लगी है
जमीन से उखड़े हुए "बरगद" हवा में उड़ रहे हैं
"खिसकी हुई जमीन" हथियाने में लगे हुए हैं
जनता से ठुकराए केवल मीडिया में छाए हुए हैं
ट्विटर पर ही अपनी राजनीति चमकाए हुए हैं
अराजकता के दौर में सब धृतराष्ट्र बने हुए हैं
लोकतंत्र रूपी द्रोपदी के चीरहरण में लगे हुए हैं
इनकी हरकतों से भारत माता शर्मसार हो रही है
"नौनिहालों" के आचरण से जार जार रो रही है
अभी भी समय है अराजकों को पहचानने का
वोट की ताकत से बाहर का रास्ता दिखाने का