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Priya Kashyap

Tragedy

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Priya Kashyap

Tragedy

थीम --पुलवामा अटैक

थीम --पुलवामा अटैक

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यू निकला था कारवां किसी मंजिल की तरफ

पर मंजर यू बदल जाएंगे सोचा ना था


दोस्तों के संग हंसी ठिठोली कि वह स्वर्ग तक ले जाएगी सोचा ना था


खुशियों की इस राह में कुछ भेड़िए नजर आ गए

बनाकर शिकार अपना खुद भी मर जाएंगे सोचा ना था


गिनती के लिए उंगलियों की जरूरत नहीं

आंसूओं के सैलाब यू बह जाएंगे सोचा ना था


भेजा अपने लाल को लालो की रक्षा के लिए

जान देकर भी वह फर्ज निभाएंगे सोचा ना था 


कहीं सुहाग छीना तो कहीं अपनों का साथ छुटा

कहीं मुंह से दूध छिन जाएंगे सोचा ना था 


प्यार के दिन हुआ यह देश प्रेम का मंजर

जहां जिया जहां पिया वहीं भोंका खंजर


संग अपने वह भारत का खून बहाएंगे सोचा ना था


अभी तो शहनाई बजी थी

अभी तो किलकारियां गूंजी थी 

घर का आंगन ये सुना कर जाएंगे सोचा ना था


नाम एक हो तो बताऊ उन वीरों का

44 लाशों की चिता जलाएंगे सोचा ना था


दिल में अरमान भरकर जिसे वर्दी में भेजा

उसे तिरंगे में लिपटा वापस पाएंगे सोचा ना था


खोया उसे लाडो से पाला था जिसे 

आया नहीं तो क्या हुआ 

दूजे को उसकी जगह दिलाएंगे यह सोचा ना था।



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