मैं एक आधुनिक नारी हूं
मैं एक आधुनिक नारी हूं
मैं पुराने ख्यालों की एक आधुनिक नारी हूं
मैं अबला हूं नादान नहीं
मैं कोई दबी हुई पहचान नहीं
अपने स्वाभिमान पर बलिहारी हूं मैं एक आधुनिक नारी हूं
है ताकत मुझ में खुद को सवारने की
है काबिलियत मुझ में रिश्तो को निखारने की
ना ही मैं अभिमानी हूं ना ही मैं लाचारी हूं
क्योंकि मैं एक आधुनिक नारी हूं
इस पुरुष प्रधान समाज में मेरा भी एक विशेष स्थान है
अगर झुकती हूं मैं किसी के आगे अपनों के हित में
तो इसमें भी मेरा स्वाभिमान है
मां, बहन, बेटी, पत्नी, ईश्वर के उपहार
रखना धैर्य तुम खुद पर करना अपने क्रोध पर विचार
हो जो भी त्रुटियां जीवन के इस चक्कर में
रखती सोच सब पर हितकारी हूं
क्योंकि मैं एक आधुनिक नारी हूं
हूं समझदार पर रहती हूं नासमझ
अपनी इच्छाओं को जाहिर नहीं करती मैं बेधड़क
यह जो आधुनिकता है केवल है मेरे दिमाग में
इस आधुनिकता की जरूरत है समाज में
जो रक्षक है संहारक भी
मैं वो कृपाण दोधारी हूं
जो सृष्टा है और युद्ध भी
मैं वह भारतीय नारी हूं।
