STORYMIRROR

Priya Kashyap

Romance Inspirational

4  

Priya Kashyap

Romance Inspirational

रंग रसिया संग होली खेलु रे

रंग रसिया संग होली खेलु रे

1 min
401

है सारा जग आनंदमई

तुम हो किस धुन में मगन

है रंगों से सजा ये आकाशी‌ तल

तुम्हें खोजे है हर ओर ये मन का उपवन

ओ चित चोर 

चल यमुना के छोर 


होली के गीत सजे है मुख पर है रंग हैं बिखरे चारों ओर

मेरे नैन तेरी प्रतीक्षा में विभोर हो रहे हैं 

तेरी आहट में राधा के नैन अपनी सुध खो रहे हैं 

हर रंग हथेली पर लगे,

पर होली हो जब ये तेरे गालों पर सजे


ये गोपियां में पिचकारी भर तेरी राह तक रही है 

 मनमोहन संग अपने वह रंग लाना 

जो तेरे अल्हड़ गोपियों को ठग रही है

मैं तो तेरी प्रीत में रंगने को उत्सुक हूं 

तू छू ले मेरे ह्रदय को

क्षण भर में इच्छुक हूं 


जहां जहां राधा चले वहां संग चले मुरारी 

राधा की चुनर रंगने को ले ली है पिचकारी 

गोपियों के पीछे छिपु

मनमोहन को ना रंगने दूं

मेरे रूप के तो रंग है मुरारी

कैसे छलिए को ठगने दूँ


प्रेम के रंग में दोनों राधा और मुरारी 

प्रेम के इस बंधन पर जाऊं मैं बलिहारी 

कान्हा का यह प्रेम रंग है होली का श्रृंगार 

होली तो है लाती संग अपने प्रेम अपार


ये धरती, गगन यह रंगों की बहारें

संग कान्हा का प्रेम है रंगे है ये गलियांरे

तुम संग ओ कान्हा सारे रंग प्रेममयी है 

ये जगह तेरी लीला जिसके मनमोहक रूप कई है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance