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Praveen Gola

Romance

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Praveen Gola

Romance

वो चुम्बन बेमिसाल था

वो चुम्बन बेमिसाल था

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आग लगने से पहले,

वहाँ धुँऐं का बवाल था,

वो चुम्बन बेमिसाल था।


ना जाने कितने वर्षों से,

तड़प रही थी वो दीवानी,

आज सबके सामने उसके,

सब्र का इम्तिहान था,

वो चुम्बन बेमिसाल था।


ऐसा नहीं था कि कभी,

चूमा नहीं था उसने उसको,

मगर थी एक चाह अलग,

जिसने किया उसे हलाल था,

वो चुम्बन बेमिसाल था।


बंद कमरे के चुम्बन ने उसको,

कभी संतुष्ट सा नहीं पाया,

सब लोगों के बीच ना हुआ जो,

उसी चुम्बन का उसे मलाल था

वो चुम्बन बेमिसाल था।


अब इस ढलती उम्र की,

बाकी थी एक ये फरर्माइश,

और उस दिन मौका,

जोश, सुरूर सब एक साथ था,

वो चुम्बन बेमिसाल था।


विवाह की पचासवीं वर्षगांठ,

पूरा किया इतना लंबा साथ,

और रह ना जाए वो जज़्बात,

जिसका कब से इंतजार था,

वो चुम्बन बेमिसाल था।


उसने सबके सामने चूम दिया,

उसके लटकते गालों को,

वो भी तब जब वहाँ पूरी,

तीन पीढ़ियों का साथ था,

वो चुम्बन बेमिसाल था।


सब शोर कर रहे एक साथ,

वो शरमा रही ले हाथों में हाथ,

ऐसे चुम्बन का बिल्कुल भी नहीं,

किसी को ख्याल था,

वो चुम्बन बेमिसाल था।


आग लगने से पहले,

वहाँ धुँऐं का बवाल था,

वो चुम्बन बेमिसाल था।।


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