मन ना मेरा कहीं लगता है
मन ना मेरा कहीं लगता है
ये दिल मेरा नादान है या जाने ये जज्बाती है
मेरा समझ पाना इसे हो रहा बड़ा ही घाती है
दर्द भी तुम्ही देते हो इसे बेदर्दी सा ये बन जाता है
फ़िर सुनकर आवाज़ तुम्हारी पल में बदल जाता है
मोहब्बत सा गहरा नाता इसका होती न तुमसे रुसवाई है
पूरा दिन इंतजार में तुम्हारे मशक्कत दिमाग़ की करायी है
ध्यान मैं फोन से हटा भी लूँ मन ना मेरा कहीं लगता है
जाने क्यूँ हर ख़्वाब ख़यालों में दर्शन तुम्हारा ही होता है
पास हो या बहुत दूर हो तुम भूल पाना नामुमकिन सा है
किसी और को पाने की जुस्तजू ना कोई इन्ताह अब है
ये दिल मेरा नादान है या जाने ये जज्बाती है
मेरा समझ पाना इसे हो रहा बड़ा ही घाती है.