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अनामिका वैश्य आईना Anamika Vaish Aina

Romance

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अनामिका वैश्य आईना Anamika Vaish Aina

Romance

जो भी चाहो कह लेना

जो भी चाहो कह लेना

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मैं कभी भी कुछ न बोलूंगी 

जो भी चाहो कह लेना प्रिये


इक ख्वाहिश दिल में आती 

तुम दिया मेरा मैं तेरी बाती

यही निवेदन तुमसे मेरा सखे 

हो मेरे सुकून को तेरी छाती

मेरे तो हृदय निवासी हो तुम 

निज चित मुझको रख लेना प्रिये

फ़िर जो भी चाहो कह लेना प्रिये ..


शामें लाना ख्वाबों वाली

मोहब्बत के गुलाबों वाली 

सेज बिछा दूँगी भावों की

रातें कर दूँगी शराबों वाली

स्वीकृति दे मेरे एहसासों को 

चित स्पंदित कर देना प्रिये 

जो भी चाहो कह लेना प्रिये..


नवजीवन के पुष्प हैं अर्पित

मेरा कण-कण तुझको समर्पित

अधिकारी बन तन-मन के तुम 

ये रोम-रोम मेरा कर दो गर्वित 

रुह समाकर अपना बना कर

अपना 'आईना' कर देना प्रिये

जो भी चाहो कह लेना प्रिये।


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