मैं हिन्दी हूं
मैं हिन्दी हूं
मैं हिन्दी हूं दोस्तों भावनाओं से सदा भरी हुई सी मैं रहती हूँ
परखो समझो जानो पहिचानो मुझको मैं सबसे ये कहती हूँ
मेरी गरिमा को समझो सुनो कभी मेरी महिमा को दिल से तुम -
सहज सरस सुखद शुद्ध और हूँ परिमार्जित मैं गंगा सा बहती हूँ।
अखिल भारत के लिये राष्ट्रभाषा है हिन्दी
भारतीयों की ख़ातिर मातृभाषा है हिन्दी
हिन्दी में जितने है भाव सभी सम्मान भरें हैं -
सुनने और समझने में हाँ सभ्य भाषा है हिन्दी।
माँ हिन्दी का गौरव गरिमा और बढ़ाया जाए
विश्व स्तर पर हिंदी महिमा को पहुंचाया जाए
हिन्दी से पहचान हमारी जान हमारी हिन्दी
हिन्दी के अभिमान को नभ में फहराया जाए।