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अनामिका वैश्य आईना

Abstract Others

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अनामिका वैश्य आईना

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डगर

डगर

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जिस डगर ले चलोगे, नाथ हम संग चलेंगे 

यूँ संग हमें देखकर लोग, शायद खूब जलेंगे.. 


तुझसे ही जुड़ी सी हर डगर हो मेरी 

श्वास-श्वास की तुमको खबर हो मेरी

हार तुझसे तुझी पर हूं देखो फ़िदा मैं 

धड़कनों पर तुम्हारी हाँ भर हो मेरी

सौंपा है स्वयं को तुम्हारे हवाले

तुम्हारी पनाहों में फूलेंगे-फलेंगे..

जिस डगर..


ये दुनिया ये महफिल ये सुन्दर से नजारे 

तुम्हारे बिना सुहाती नहीं है मुझे ये बहारें

भूल बैठी हूं सुध बुध प्रेम में मैं तुम्हारे

बुला लो मुझे पास तुम करके सौ इशारे

भीगे नैना प्रतीक्षा में दिन रैन काँटे, 

तेरे धाम आकर ही अब तो हम जीयेंगे मरेंगे

जिस डगर...


प्रेम ही प्रेम रग-रग में समाया हुआ है

दिल का रिश्ता सदा से निभाया हुआ है

आस-विश्वास तुम पर मेरा दृढ़ रहेगा

तेरे रंग से ही ख़ुद को सजाया हुआ है

माथा सिंदूरी करके हाथ थामो

हम अनाथ हे नाथ! तेरी शरण में ही तरेंगे..

जिस डगर..



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