देश भक्ति गीत
देश भक्ति गीत
बैसाखी के दिन ही तो हाँ, दिया घाव जलियां वो बाग।
सभा चली भारत वीरों की, देश प्रेमियों के थे राग।
उस जनरल डायर अफ़सर ने, दिखा दिया अपनी औकात।
बिना सूचना के उसने तो, करवाई गोली बरसात।।
ताबड़तोड़ दागी गोलियां, हरियाली पे लाल दाग।
बैसाखी के दिन ही तो हाँ, दिया घाव जलियां वो बाग।
इक हज़ार को मिली शहादत, हुए घायल जन दो हजार।
गोरों की यह रही धूर्तता, धूर्तता से पूर्ण सरकार।
भाई बेटे मित्र खो गए, उजड़े कितने सखी सुहाग।
बैसाखी के दिन ही तो हाँ, दिया घाव जलियां वो बाग।
जब क्रांतिकारियों को खोया, माँ भारती हुई बेहाल ।
लहू-लथपथी आँचल बोले, ईश्वर! छोड़ गया क्यों लाल।
कौन करेगा मेरी सेवा, हे लाल देश के अब जाग।
बैसाखी के दिन ही तो हाँ, दिया घाव जलियां वो बाग।