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अनामिका वैश्य आईना Anamika Vaish Aina

Tragedy

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अनामिका वैश्य आईना Anamika Vaish Aina

Tragedy

बहुरूपिया

बहुरूपिया

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बहुरूपिया की अगर उपाधि दी जाए तो हम सर्वप्रथम और श्रेष्ठ हम समाज का ही नामांकन किया जा सकता है। ये समाज विभिन्न परिस्थितियों में अपने भिन्न-भिन्न रूपों मे निकलकर हम सभी के सामने आता है।

एक बार की बात है सुशीला अपने परिवार के साथ हँसी ख़ुशी गाँव में रहती थी। उसके पति की एक दुकान थी जिससे परिवार की. गुज़र बसर होती थी। पता नहीं अचानक क्या हुआ कि दुकान में बहुत घाटा होने लगा और कुछ ही सालों मेें स्थिति काफी गम्भीर हो गई और घर की सारी परिस्थितियां शीघ्र ही हर जगह आग की तरह फैल गई। परिवार और समाज जो अब तक सुशीला के साथ था अब वो ऐसे बुरे दौर में खिलाफ़त और बगावत पर उतारू हो गया। देखते ही देखते एक प्रतिष्ठित परिवार निंदित स्थिति / श्रेणी मे तब्दील हो गया। इसी के साथ समाज और लोगों के बहु रूप देखने को मिले जितने अपने थे पराये हो गए, कुछ पराये अपने हो गए, जी हुजूरी करने वाले तानाशाही हो गए, प्रशंसक विरोधी हुए, मित्र और रिश्तेदार शत्रु हो गए, बहुत सी अफ़वाहों की लहर दौड़ पड़ी, ऐसे ही न जाने कितने रूप समाज के देखने को मिले। बड़ा ही भयानक दौर था वो जब पूरा समाज असुर बनकर एक तरफ़ हो गया था और एक तरफ थी अकेली सुशीला... 


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