अनामिका वैश्य आईना
Romance
पूरे-पूरे भाव सजायें फ़िर क्यों लगता गीत अधूरा है
चूम लिया शब्दों को उसने तो लगे गीत फ़िर पूरा है।
बसंत ऋतु
देश भक्ति गीत
आंखों में बसे...
बिजली सी गिर ...
बहुरूपिया
माँ - मुक्तक
गीत अधूरा
डगर
मैं हिन्दी हू...
हिन्दी पर हाइ...
तूने जो छोड़ा तो तेरे सिवा फिर मेरा कोई भी निगेहबान नहीं है। तूने जो छोड़ा तो तेरे सिवा फिर मेरा कोई भी निगेहबान नहीं है।
अच्छा, तो तुम्हे लगता है, मै वाकई बदल गई, ज़रा सोचकर तो देखो, क्या तुम अब भी हो वही । अच्छा, तो तुम्हे लगता है, मै वाकई बदल गई, ज़रा सोचकर तो देखो, क्या तुम अब भी ...
ये तो अभी ठीक से ईश्वर को भी पता नहीं और मनुष्य तलाश में है इसकी ! ये तो अभी ठीक से ईश्वर को भी पता नहीं और मनुष्य तलाश में है इसकी !
जिससे आयत मे मांगता हूँ के सलामत रहे मेरा यार सदा...। जिससे आयत मे मांगता हूँ के सलामत रहे मेरा यार सदा...।
वो महीन काजल की लकीर याद आ जाए तब अपना ख्याल रखना वो महीन काजल की लकीर याद आ जाए तब अपना ख्याल रखना
धवल बादलों से भरा, मेरा अपना नीला आसमान। धवल बादलों से भरा, मेरा अपना नीला आसमान।
दूर जो जाऊँ पास बुलाते हो पास जो आऊँ नजरे चुराते हो ! दूर जो जाऊँ पास बुलाते हो पास जो आऊँ नजरे चुराते हो !
उस संगम पर हमें फिर जा खड़े हो गए जो समझ गए उस संगम पर हमें फिर जा खड़े हो गए जो समझ गए
दिल के हर कोने से, एक आवाज़ आ रही है! दिल के हर कोने से, एक आवाज़ आ रही है!
बेवजह मुस्काना पुलकित तरंगित रहना जैसे आ गई हो सूखे आम्र गाछ में मंजरी बेवजह मुस्काना पुलकित तरंगित रहना जैसे आ गई हो सूखे आम्र गाछ में मंजरी
ढूंढ रहा है एक जवाब, कौन हो तुम मेरे, जानने के लिए है दिल बेताब। ढूंढ रहा है एक जवाब, कौन हो तुम मेरे, जानने के लिए है दिल बेताब।
छोड़ झरोखे राज महल के जो मेरे द्वारे तू आए। छोड़ झरोखे राज महल के जो मेरे द्वारे तू आए।
उसको लगता है मैं बना हूँ उसके लिये वो मेरे आशियाने में रहना चाहता है। उसको लगता है मैं बना हूँ उसके लिये वो मेरे आशियाने में रहना चाहता है।
बन चुका है दिल मेरा जैसे कब्रगाह कोई, इसमें कफन ओढ़कर सोई कई दास्तां देखा करती हूँ बन चुका है दिल मेरा जैसे कब्रगाह कोई, इसमें कफन ओढ़कर सोई कई दास्तां देखा करत...
हर रूह, हर जर्रे में अपना-सा ही दिल खोजता है अपना-सा ही दिल खोजता है। हर रूह, हर जर्रे में अपना-सा ही दिल खोजता है अपना-सा ही दिल खोजता है।
और वो आवाजें देती रही मुझको मैं सुनकर भी उसे नज़रदाज़ करता रहा और वो आवाजें देती रही मुझको मैं सुनकर भी उसे नज़रदाज़ करता रहा
अधूरे इश्क की रस्म तुम निभा जाना कभी! अधूरे इश्क की रस्म तुम निभा जाना कभी!
झुकी झुकी सी पलकों की सौगंध तुझे, तेरी नैनों में प्रीत का मंजर देखा है मैंने।। झुकी झुकी सी पलकों की सौगंध तुझे, तेरी नैनों में प्रीत का मंजर देखा है मैंने।...
आंखे तेरी सजती हैं ऐसे कह देंंगी जैसे बातें सारी! आंखे तेरी सजती हैं ऐसे कह देंंगी जैसे बातें सारी!
संगिनी मेरी जीवन की "अनिल की साधना" हो। संगिनी मेरी जीवन की "अनिल की साधना" हो।