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Chandni Purohit

Abstract Romance

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Chandni Purohit

Abstract Romance

स्वप्न हकीकत हो गया

स्वप्न हकीकत हो गया

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चंद लम्हों के मिलन में कोई जिंदगी भर की मुलाकातें दे गया 

नूर चेहरे पर आया देख उसको, गुलाबी होठों का रंग हो गया 


दो बार नजरें क्या मिलीं उनसे अश्कों से दिल को वो छू गया 

खूशबूं से अपनी वो मेरे दिल तक न जाने कब अपना हो गया 


बरसों तक याद रहने वाला प्यारा सा पास मेरे एक किस्सा हो गया 

पहरा वक़्त का बितता चला गया और न जाने वो कहाँ खो गया 


दिल में तस्वीर सहेजी थी उस रात घूमना मेरा स्वप्नलोक हो गया 

अब ढूँढ रही हर शख़्स में एकाएक लेखों का ग़ज़ब संयोग हो गया 


सामने देख उनको मैं स्तब्ध हाय! ये मुझे कैसा रोग हो गया 

किस्मत कहूँ या कहूँ कि सच में सात जन्मों का मेल जोल हो गया 


राजकुमार जो देखा था बचपन मैं पुस्तक का मेरे किरदार हो गया 

ये क्या वो बालपन का सच्चा मन मेरा तो स्वप्न हकीकत हो गया।


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