शिखा
शिखा
आपका हसीन चेहरा सदा नजरों के सामने रहता है
आप से बढकर कोई नहीं दिल मेरा कहता है
कोमल गुलाबों सी चेहरे पे ताजगी है
सौन्दर्य बिखेरती आपकी सादगी है
नहीं जरूरत आपको सोलह सिंगार की
चाऺद से मुखड़े के लिए
ये चीजें हैं बेकार की
आईना भी सामने पाकर
आपको घूरता रहता है
आपसे बढकर कोई नहीं दिल मेरा कहता है
कविता में समा जाये आपकी सुन्दरता
रहता हूँ ऐसे अल्फाज ढूँढता
गीत लिखूँ या कोई गजल
जिक्र आपका नहीं होता मुक्मल
बहुत कुछ लिख के भी
लगता है कुछ बाकी रहता है
आपसे बढकर कोई नहीं दिल मेरा कहता है
निर्मल हिद्बय मधुर वाणी है
बाल घटायों से सूरत नूरानी है
अपना बना लूॅं आपको
जाने क्यों दिल ने ठानी है
ये दूरियाँ अब बहुत खलती है
दिल ना जाने कैसे ये तकलीफ सहता है
आपसे बढकर कोई नहीं दिल मेरा कहता है।

