सफ़र
सफ़र
टूट रही थी साॅंसे
खत्म होने को ज़िन्दगी का सफर था
सलामत हूं रहमत है खुदा की
या किसी की दुआयों में असर था
बड़े भयावह हालात से गुजर के
लोटा हूं मौत से मुलाकात करके
कभी भूलेगा नहीं वो कैसा मंज़र था
जब देखा दुआ करता हर अपना पराया
मैंने जाना मैंने क्या है कमाया
इक बड़ी हकीकत दिखा गया लम्हा मुक्तसर था
टूट रही थी साॅंसे
खत्म होने को ज़िन्दगी का सफर था
सलामत हूं रहमत है खुदा की
या किसी की दुआयों में असर था
