मुहब्बत
मुहब्बत
एहसास ए मुहब्बत में
हम जीयेंगे उम्र भर
तुझे पाना मेरी मंजिल नहीं
मैं तो खुश हूं बस तुम्हे देख कर
दो किनारों की तरह हम
चलेंगे साथ रहेंगे जुदा
गर यही नसीब है
तो नहीं शिकायत तुझसे खुदा
हर मुहब्बत को मिलती नहीं मंजिल
हर कश्ती को मिलता नहीं साहिल
बहारों में भी नहीं खिलते कई गुल
दुर ही सही मगर दिल में रहोगे आबाद
जब भी मन बेचैन हो
और दिल को मिले ना करार
समझ लेना मैंने तुम्हें किया है याद

